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Hindi Story (हिंदी स्टोरी official) : "यादें" yanden - प्रेरणादायक कहानी, inspirational Hindi Story


 "यादें" yanden - प्रेरणादायक कहानी, inspirational Hindi Story 2023.





मेरा नाम राकेश आज मैं 30 साल का हो चुका था और इस 30 साल की उम्र में मेरे बचपन की वे तमाम चीजे जो मुझे हर पल याद दिलाया करती है जी हां मैं अपने डेढ़ साल के बच्चे के साथ पकड़म पकड़ाई खेल रहा था मेरा बेटा रजत बड़ा ही तेज था वह झट से मुझे पकड़ लिया करता और उसको जो खुशी मिलती वो मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार था। उधर मेंरी प्यारी पत्नी रिया मेरे लिए नाश्ता और मेरे बेटे सॉरी हमारे बेटे रजत के लिए बेबी फ़ूड तैयार कर रही थी, वैसे रिया को रोजाना 15 से 20 खाने के टिफिन तैयार करने होते थे क्योंकि वहां एक मैच का काम भी करती थी। फिर अचानक रिया का हुक्म आया की मैं और रजत को नहा धोकर उसके शरीर को अच्छे से मालिश कर हम सब सुबह के नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पे शार्प 9 बजे पहुंच ही जाए और रिया का हुक्म मेरे लिए सर्वाउप्री था। वैसे रजत को रोज सुबह नहलाने से लेकर उसे दूध पिलाने तक की सारी जिम्मेदारी मेरी थी। उसके बाद मैं अपने ऑफिस के लिए रोज 10 बजे से पहले निकल जाया करता और शाम को 7 बजे तक हर रोज घर पहुंच जाया करता। 


डाइनिंग टेबल पर बैठे मैं और मेरा प्यारा बेटा रजत दूध की बोतल से दूध पी रहा था और मैं नाश्ते में ढोकला खाने को मिल रहे थे फिर रिया मेरे लिए एक पराठा भी ले आई रिया हमारे पास बैठ हम दोनो बाप बेटो को इस तरह देख रही थी की वो हमे इस तरह पहली बार देख रही हो। फिर रिया मेरी तरफ 25000 रुपए देते हुए कहा " याद है ना कल हमारी घर की किश्त है जो हमने पीछले 3 महीनो से पे नही किया"। 


तीन महीने से घर की ईएमआई पे नही करने से अमित और रिया के घर का आर्थिक बोझ दिन पर दिन बढ़ता चला गया।


 वैसे यह इस वजह से हुआ की तीन महीने पहले की बात है रिया अपने बेटे के साथ खेल रही थी और अचानक रजत बेहोश हो गया बहूत कोशिश करने के बाद भी रजत होश में नही आ पाया उसी समय राकेश आज ऑफिस से घर जल्दी आ गया रिया डरी सहमी राकेश के बाहों में जा रोने लगी फिर राकेश भी यह सब देख एकदम सहम सा गया। फटाफट रजत को हॉस्पिटल ले जाया गया और पूरे आधे घंटे के ट्रीटमेंट के बाद उसे होश आया उसे होश में देख रिया और रजत ने राहत भरी सास ली। फिर डॉक्टर शेखर के कैबिन में राकेश और रिया, डॉक्टर शेखर की बात सुन एकदम टूट सी गई और राकेश की कंधे में सर रख रोने लगी और राकेश रिया को सांत्वना देने लगा की " रिया मत रो, हम रजत को जल्द से जल्द ठीक कर यह से ले चलेंगे" यह बोलते हुए राकेश के आंखो से आंसू का एक कतरा दुख का बह ही गया। 


दो दिन हॉस्पिटल में रखने के बाद राकेश और रिया दोनो डॉक्टर से घर ले जाने अनुमति ले ली। जब वे घर पहुंचे और रजत को सुलाने के बाद राकेश ने रिया को कुछ कहा " डॉक्टर शेखर ने हमको रजत के हार्ट के ऑपरेशन के लिए पूरे 2 लाख रुपया का बंदोबस्त करने को कहा"


" क्या अभी हमारे पास इतने पैसे है न " रिया ने राकेश की आंखों में देख संदेह पुर्ण पूछा, क्योंकि दो महीने पहले ही तो उन्होंने अपने खुदका घर खरीदने में ही सारा पीसा उस घर के डिपॉजिट के तौर पर दे दिए और जब राकेश ने रिया को कहा की उसे नौकरी से निकाल दिया गया है तो यह सुन रिया का दिल कुछ देर के लिए एकदम बैठ सा गया और वो एक गहरी चिंतन में चली गई।


किसी तरह राकेश ने थोड़े बहुत पैसे जुगाड़ किए और थोड़े बहुत पैसे जो लगने वाले थे वह रिया ने अपने गहने बेचकर दिए फिर ऑपरेशन हुआ और उनका बेटा रजत अब बिल्कुल ठीक था राकेश और रिया दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे उन्होंने शादी के बाद सिर्फ एक बच्चा पैदा करने का ही ठान लिया चाहे लड़का हो या लड़की हम उसे उतना ही प्यार देंगे जितना कि कोई मां बाप अपने बच्चों को करता है। 


यह सब आपदा ठीक होने के बाद राकेश एक मॉल में सेल्स ब्वॉय की नौकरी करने लगा और रिया ने भी खुद का अपना मेस का काम स्टार्ट किया और वह आसपास के कॉलेजों के स्टूडेंट को खाना पहुंचाया करती इसीलिए वह सुबह जल्दी उठकर अपने काम में लग जाती। वैसे धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार आने लगे वह अपने घर की किश्त टाइम पर भरा करते और सब परिवार मिलकर खुशी से रहते हैं। रिया और राकेश ने मन्नत किया था की जब उनका बेटा रजत एकदम ठीक हो जाएगा तो वे 1000 अनाथ बच्चों को पेट भर खाना खिलाएंगे और वे रामदास अनाथालय मैं सभी अनाथ बच्चों को पेट भर खाना खिलाए और उनके लिए कुछ जरूरत के समान भी उपलब्ध कराई, रिया और राकेश अपने बेटे रजत के साथ बहुत खुश थे। ऐसी स्थिति में राकेश और रिया ने हिम्मत नहीं आए और कभी भी किसी को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।


धीरे-धीरे रिया और राकेश साथ मिलकर अब वह मेस यानी लोगो तक कम दामों में खाना पहुंचाने का काम करने लगे थे। प्रिया के हाथों से बनी हर एक चीज सबको बहुत अच्छी लगती थी पहले सिर्फ वह कॉलेज की स्टूडेंट को ही खाना डिलीवरी किया करते थे, लेकिन आज की तारीख में वे ऑफिस जाने वाले वर्कर के लिए साथ ही और भी कई लोगो तक घर का सवदिष्ट खाना उन तक पहुंचाया करते थे। राकेश हर वक्त रिया की खुशी में ही अपनी खुशी खुश खोजता था और अब वह दोनों साथ में मिलकर खुशी से यह काम करते थे राकेश और रिया के बीच इतना प्यार था कि वह हर मुश्किलातो को चाहे वह कैसे भी हो बिना डरे उसे पार कर जाते थे सही मायनों में अगर कहा जाए तो यही है एक अच्छी और सच्ची पति पत्नी की एक अनूठा प्रेम कहानी। बस इतनी सी थी यह कहानी अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और परिवारों के साथ इसे शेयर करें धन्यवाद।

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