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दोस्त का बर्थ डे

सौरभ अपने घर वालो के साथ बाते कर रहा था सभी उसे आज उसके 19 वे जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहें थे। बहुत खुश था और थोडा परेशान भी की वो अपना 19 वा जन्मदिन इस साल अपने परिवार के साथ नही माना पाएगा। लेकिन उसके दोस्त है है न वे मनाएंगे सौरभ का जन्मदिन यह वो अंदर अन्दर ही अन्दर सोच रहा था। तभी सौरभ का क्लासमेट जो उसके साथ कॉलेज में फर्स्ट ईयर में था राज का कॉल आया और उसने उसे एक ठपरी पे बुलाया और कहा साथ में अतुल जय और भद्रा भी आने वाले हैं तो शार्प शाम 5 बजे मन्नू के ठपरी पे पहुंच जाना। यह सुनकर सौरभ को अंदाजा हो चुका था की आज उसका 19वा जन्मदिन अपने कॉलेज के दोस्तो के साथ सेलिब्रेट करना है तभी तो शाम को सबको इक्ट्ठा किया जा रहा है। फिर वो नहा धोकर नए कपड़े पहन परफ्यूम वगेरह मारकर अपने पीजी से निकल सीधे एटीएम से करीबन  4 हजार निकाले ताकी जब उसके दोस्त   केक कटवाकर सरप्राइस उसे सरप्राइस देंगे तब वे अपने दोस्तो को एक छोटी सी पार्टी दे सके।


मन्नू के तफरी के पास एक बरगद का पेड़ था उसके नीचे बैठा राज अतुल और जय अब तक 8 बड़ी एडवांस और 3 कप चाय और बाद में टेस्ट चेंज के लिए कॉफी भी पी डाली लेकिन अब तक न भद्रा का कुछ पता था और न अपने सौरभ भैया वे लोग उनकी रह ताकते, यह सोचते है अगर भद्रा नही आया तो चलेगा लेकिन सौरभ नही आया तो उनका इन अय्याशीयावो का बिल कौन भरपाई करेगा ऊपर से मंथ एंड है। थोड़े देर इंतजार के बाद अब उन तीनो के लिए मन्नू के टफरी से एक एक सिगरेट की बजाय सिर्फ एक ही सिगरेट लेकर शेयर करके पीनी पड़ी, क्योंकि मन्नू भी समझ चुका था अब लिमिट क्रॉस हो चुका है। फिर राज की नजर हमारे सौरभ भैया पर पर पड़ी एक दम बन ठन के आंखो में गॉगल्स लगाए अपनी शानदार सी बुलेट पे मन्नू के तफरी पे एंट्री ली फिर सौरभ मन्नू को एक इशारा करता है और वो उसे एक अल्ट्रा माइल्ड का पैकेट देता है उनके ग्रुप में एक सौरभ ही था जिस पर मन्नू को भरोसा था की सौरभ ही तो है जो खुदके के बिल के साथ अपने दोस्तो का भी बिल पे करता है और फिर सौरभ अपने दोस्तो के पास जाकर सिगरेट जलाता है। और थोड़ा अनजान बनने की एक्टिंग कर पूछता है की उन लोगो ने उसे यह किस लिए बुलाया है।

बस कुछ खास नहीं भद्रा का प्लान था की सबको इक्ट्ठा कर लिया जाए तो इक्कठे हो गए। यह सुन मन ही मन सौरभ थोड़ा खुश तो होता है की भद्र ही उसका सच्चा यार है क्योंकि उसके पिछले बर्थडे पे सारा खर्चा सौरभ ने किया था और उसने बड़ा ही इमोशनल होकर सौरभ से यह भी कहा था जब सौरभ का बर्थडे होगा तब भद्रा पूरे धूम धाम से मनाएगा।

थोड़े देर में भद्रा भी आ गया और थोड़ा एक्साइटेड भी नजर आ रहा था जैसे ही भद्रा सौरभ के पास पहुंचता ही और सौरभ का हाथ पकड़ता फिर उसे बधाई देता है यह सुन जैसे ही सौरभ भद्रा को थैंक्यू कहने को जाता है की भद्रा बोलता है बधाई हो सौरभ भाई तेरे जिगरी यार ने पायल को आखिर प्रपोज कर ही दिया यह सुनकर सौरभ का मुंह उदास हो जाता है फिर सोचता है क्या इसीलिए भद्रा ने सबको यह बुलाया और दूसरी तरफ जय और अतुल हैरानी से कहते है क्या सच में और चाय पीते हुए राज मन ही मन चेहरे पे एक बुरा स स्मग देते हुए खुद को बोलता है पायल क्या भद्रा को हा बोलेगी घंटा यह सोचता ही है की भद्रा कहता है की पायल  ने उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया और भद्रा कहता है बस आधे घंटे के बाद वे दोनो एक शानदार से रेस्टरों में पार्टी करने वाले है यह सुन जय और अतुल खुशी से उछलने लगते है और कहते है की हम सब पार्टी करने वाले है फिर भद्रा कहता है हम सब नही बल्कि सिर्फ पायल और भद्रा एक साथ एक क्वालिटी टाइम बिताने वाले है कैंडल नाइट डिनर के साथ वो कहता है उसने तो टेबल भी बुक कर लिया है यह सुनकर सौरभ भद्रा के नाम का जिगरी यार का खिताब लिए जो घूम रहा था की भद्रा उसका सच्चा यार है अब वो दोस्ती का खिताब तो झूठा निकला, मन ही मन सौरभ को बहुत दुख हुआ की उसका जन्मदिन इन चारो में से किसी को याद नहीं कैसे दोस्त बनाए यह सोचकर खुद पर ही शर्मिंदा होता है और राज जो खुद यह सोचा करता था पायल तो राज से ही प्यार करती है आज नही तो कल पायल खुद राज को अपनी दिल की बात कहेगी नही तो वो खुद ही पायल को आज कल प्रपोज करने वाला ही था लेकिन वो कल अब कभी नहीं आया और भद्रा की यह बात सुन उसको पूरा विस्वास हो गया अब वो कल कभी नही आएगा। 

फिर भद्रा सौरभ की तरफ एक प्यारी सी मुस्कान देकर उससे कहता है की उसे पता है भद्रा का सबसे अच्छा दोस्त सौरभ क्यू है यह सुन बगल से जय अतुल और पीड़ा में पड़े राज कहते है क्यों है फिर इसका जवाब भद्रा देता है क्योंकि सौरभ हमेशा मुसीबत पड़ने पर हमेशा दोस्तो की मदद करता है और झटपट से कहता है की उसको एक हज़ार रुपए की जरूरत है बेचारा सौरभ यह सोचकर आया था की उसके साथ कुछ भी हो लेकिन उसे दोस्त तो अच्छे मिले है लेकिन उसका ये भ्रम आज टूट गया जब भद्रा ने आज के दिन अपनी खुशी के लिए सौरभ की खुशी को नजरंदाज कर उसने 1000 रु मांगने के लिए सौरभ को यह बुलाया था। फिर अंदर से टूट चुका सौरभ अपने इस दर्द को बिना दिखाए उसे 1000 रुपए निकाल के उसे न जाने क्यों दे दिए और इसके लिए भद्रा उसे शुक्रिया भी नही कहा। अंदर ही अंदर सौरभ का दम घुट रहा था भद्रा तो चला गया अपनी शाम बनाने इधर सौरभ की शाम उजाड़ के चला गया। 

अब वह बचे 4 लोग सौरभ जिसका मन अब निराशा से भर चुका था और राज जो अपना दुख भुलाने एक और सिगरेट जला लिया था। लेकिन इससे जय और अतुल को कोई मतलब नहीं था वो अपने में खुश थे। 

फिर जय और अतुल उससे पूछते है की उसने बताया नही की ये नए कपड़े पहन, गॉगल्स  लगाकर क्या वो भी किसी लड़की के साथ डेट पे जा रहा रहा है क्या उन लोगो ने सौरभ के साथ मजाक करते हुए कहा लेकिन अब सौरभ को हर मजाक दिल पे चुभने जैसा लग रहा था लेकिन वो कुछ बोल भी नहीं रहा था सिर्फ सह रहा था। मगर राज बोला की सबको उदासी भरी लब्जो में भद्रा तो डेट पे चला गया फिर एक नजर सौरभ को देख अब सौरभ भी जा रहा है, राज को क्या इस धरती पे सिर्फ दुख देने के लिए भेजा है फिर आसमान की ओर देख कहता है की साला ये दुख कहे खत्म नहीं होता बे। लेकिन आज जो दुख सौरभ को हो रहा था शायद ही वो इस दुख के पल को भूल पाएगा अच्छा होता की वो सिमरन के साथ ही कही चला जाता। 

मन्नू भाई ने राज को 375 रुपए का बिल थमाया यह देख राज ने अतुल की तरफ इशारा किया और अतुल ने जय की तरफ, जय बिल की तरफ देखा और फिर अपना अकाउंट चेक किया मात्र 50 रूपए ही थे उसके पास, मन्नू ने फिर से कहा कौन चुकाएगा आज का बिल उन तीनो में से और वे तीनों आंखो से सौरभ की ओर इशारा करते है और हमारा सौरभ सोच रहा था की ऐसे दोस्त से अच्छा दुश्मन पाल लेता, वे लोग तो सिर्फ सौरभ के पैसे से लगाव है बस, फिर सौरभ ने पैसे देने के लिए अपना बटवा निकाला और उसमे से 500 रूपए का नोट दिया और मन्नू ने आज का पैसा कांट बाकी बचे पैसे सौरभ ने उसे जमा रखने को कहा। 

तभी राज को एक लड़की का मैसेज आया की वो उसके साथ आज नाइटआउट के लिए तैयार है यह देख पायल के लिए जो दर्द उसके सीने में पनप रहा था। वह एक दम सा चला गया फिर राज ने सौरभ को थोड़े मसके लगाने शुरू किए और सौरभ को पता चल गया की इसको भी शायद कुछ पैसे चाइए सारे पैसे के लिए ही सौरभ के साथ थे। फिर राज ने कुछ मांगा तो सौरभ ने दुख भरी आवाज में कहा कितने चाइए पर राज को पैसे नही बल्कि उसकी बुलेट चाइए थी जिससे हो सारी सारी रात सिर्फ आज रात भर ऋतु को घुमा सके। अब यह सुन सौरभ इतना फ्रास्टर्ट हो गया उन लोगो से की वो चिड़चिड़ते हुए अपनी बुलेट स्टार्ट की और अपने पीजी की ओर चला गया, सौरभ सोचने लगा सबको अपनी खुशी देखनी है किसी को सौरभ की फीलिंग का कुछ नही। सौरभ का ऐसा बेहवियार पहली बार देख जय और अतुल को बड़ा ही अजीब लगा यह देख राज को बहुत अफसोस हुआ, अफसोस इसलिए नही हुआ की सौरभ गुस्से से चला गया बल्कि आज भी राज का एक राज रह जाएगा ऋतु के लिए जब भी वह नाइटआउट के लिए बोलती है तो राज पूरा क्यों नही कर पता। फिर मन्नू की नजर सौरभ के बटवे पर पड़ी जो वह छोड़ कर चला गया। फिर जय और अतुल साथ ही राज की भी नजर उस बटवे पर पड़ी। बटवा खोला तो उन्होने उसमे 3 हजार पांच सो रूपया और कुछ डॉक्यूमेंट कार्ड रखे हुए थे अतुल की नजर आधार कार्ड पर गई जिसमे उसका नाम सौरव कुमार की जगह सौरव कुमार शुक्ला लिखा था ये बात उनको नई पता चली। फिर मन्नू को उस कार्ड में उसकी डेट ऑफ बर्थ आज की नजर आई दूर की नजर थोड़ी कमजोर थी तो राज से पूछ लिया क्या उसमे उसका डेट ऑफ बर्थ आज का तो नही। फिर तीनो ने उस डेट पर गौर फरमाया और तीनो ही यह देख फिर एक  दूसरे को देखा और समझ गए की वो इतने चिड़चिड़ाते हुए क्यों गया।


सौरभ अपने कमरे का लाइट ऑफ कर आज खुदके जन्म दिन पर यू मायूस बिस्तर पर लेटा हुआ था और ऊपर घूमते हुए पंखे को देख रहा था की अचानक उसकी डोर की बेल बजी उसने अपना गेट खोला तो एक डिलीवरी बॉय एक गिफ्ट बॉक्स लेकर आया फिर वो लेकर अंदर जाकर उस बॉक्स को खोल ही रहा था की दोबारा डोर बेल बजी गिफ्ट को वही छोड़ फिर से उसने दरवाजा खोला तो उसके सामने जय अतुल और राज सामने एक बड़ी सी चाकू लिए खड़े थे यह देख सौरभ कुछ बोला नहीं और वे तीनों भी कुछ बोले नहीं सीधे वे अंदर आकर बिस्तर पर लेट गए सौरभ उनको देख हैरानी से वह किनारे चेयर पर बैठ गया,  फिर दुबारा से एक और बेल बजी जैसे ही सौरभ दरवाजा खोलने अपने चेयर से उठा तो राज ने उस चाकू से इशारा किया की वे अपनी जगह पर बैठ जाए और वो डोर खोलता है और एक बहुत बड़ा सा केक अंदर लता है यह देख सौरभ हक्का बक्का रहता है और राज उसे घुटने के बल बैठ कर उसे वह चाकू देता है और उसे केक काटने की आज्ञा देता है सौरभ केक कटता है जय पेपर बम और अतुल स्प्रे की बौछार करता है। केक काट वह सबको खिलाता है वे लोग भी सौरभ को खिलाते कम चेहरे पे लगाते ज्यादा है यह देख सौरभ इतना खुश होता है की वह सबके गले मिलता है फिर वे तीनों उस गिफ्ट को खोलने को कहते है जब वह बॉक्स खोलता है उसके अंदर एक और बॉक्स निकलता है उफके अंदर फिर एक और लास्ट में उसको दिखता है उसके अंदर तो एक वॉलेट है जो वो मन्नू ठापरी पे भूल आया था। यह देख अपने दोस्त के प्रति बहुत प्यार आता है और आंखो में आंसू भी। यह देख वह सभी को बाहर ढाबे पे ले जाता है सभी पेट भर खाना और साथ ही बीयर पीते है सारे एक दूसरे के साथ खुशी खुशी वक्त बिताते है हंसी मजाक करते है और आज दिन यादगार बनाने के लिए सौरभ उनका शुक्रिया अदा करता है, जय अतुल और राज एक दूसरे की बियर की बोतल टकराकर कहते बिलकुल, ये जो आज का दिन सौरभ जिंदगी भर नही भूल पाएगा कहते ही देखता है की भद्रा अपनी अपनी नई नवेली गर्लफ्रेंड को लेकर उसी ढाबे पे एंट्री करता है और वो उनको देख सीधे वही आता है और वे भी उसे बर्थ डे विश कर उनके साथ शामिल हो जाते है। कुछ देर बाद जय अतुल और राज वह से चले जाते है  और फिर से वे दोबारा कहते है ये दिन जितना सौरभ को याद रहेगा उतना ही उन्हें भी। थोड़ी देर बाद वे भी निकलने के लिए तैयार होते है सौरभ काउंटर पर बिल पे करने जाता है 3500 बिल बताकर ढाबे का मालिक पूछता है कैश या पेटीएम तो सौरभ पेटीएम से पे कर रहा होता है पर सर्वर फेल रहता है एक दो बार फिर ट्राई करता है मगर पे नहीं होता फिर वह अपना वॉलेट निकाल कर पैसे देना चाह ही रहा होता है की वो क्या देखता है उसमे से एक बिल निकलता है जिसमे उस केक का पैसा लिखा होता है 3500 रूपए और उसके पीछे लिखा होता है की जितना यह बर्थडे तुझको याद रहेगा उतना हमे भी शुभ रात्रि। यह देख सौरभ गुस्से से उस बिल को मरोड़ता है और गुस्से से उसका मुंह लाल हो जाता है फिर वह भद्रा की तरफ देखता है भद्रा उसका उसे देख अपनी नजरे चुराता है तब पायल उसको कहती है है छोड़ ये सब बात वो गाना नहीं सुना हर एक फ्रेंड कमिना होता है।


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