Hindi Poem
पैसों के रिश्ते, Philosophy Poem
पैसों के रिश्तो से दोस्ती नहीं होती
दिल खोलकर जो खर्च करता है
जेब में अपने कितने हैं पैसे
वह कभी झांक कर नहीं देखता है
जेब खाली अगर आज हो भी जाए
खुशी के झनझन से जेब तो भर आए
आज कमाया कल फिर लुटाया
आज लुटाया तो कल फिर कमाया
कोई ऐसा भी करता जाता है
सिर्फ अपनी जेब भरता रहता है
किसी के पास होते हुए भी पैसे
दूसरों की जेब क्यों ताकता है वैसे
किसने कितना खर्च किया
कितना खर्च और कौन कौन करेगा
वह खबर सबकी रखता है
लेकिन खुद अनजान बनता फिरता है
कौन इन सबसे रिश्ते बनाता है
जो अपनों से किश्ते चाहता है
दोस्ती में किसने कितना कुछ किया
उसका परवाह वो नहीं करता है
दोस्ती का मतलब जो समझ नहीं पाया
हमसे जो मतलब की दोस्ती करता है
दोस्ती के दरवाजे हमने उसके लिए बंद कर दिए
क्योंकि हमको भी अब कोई फर्क नहीं पड़ता है
English Translation:
Money does not make friends
One who spends openly
How much money are you in your pocket
He never peeks
Even if the pocket is empty today
The pockets of happiness filled the pockets
Earned today, robbed again tomorrow
Robbed today, earned it again tomorrow
Someone goes to
Just keeps filling his pocket
Money in hand
Why do others have their wallets
Who spent how much
How much will you spend
He keeps the news for everyone
But turns out to be unknown
Who makes all these relationships
Who wants installments from his loved ones
Who did so much in friendship
He doesn't care
The meaning of friendship is not understood
Who friendship with me means
We closed the doors of friendship for him
Because we don't even care anymore.
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