Hindi Poem "इश्क़ की राहें" Romantic Love Poem. मंज़िल इश्क़ का राह तेरा तलाशते तलाशते हुए मैं चला गया, ढूंढते ढूंढते तुझको मैं धीरे धीरे अपने आपको भी भूलता चला गया, तुझको पाने की आस में जमाने से भी रिश्ता तोड़ कर आ गया, ख्वाब एक मंजिल भी एक कई रास्ते अजीब सामने मेरे आ गया, अब भी सफर तय करना था बाकी ऐसा लग रहा था कि मेरा बुलावा आ गया, दिल पर हाथ रख मैंने आंखे बंद कर मैंने तुझको याद कर लिया, कहीं अधूरी ना रह जाए मुलाकातें यही सोचकर यह दिल बेचैन सा हो गया, हिम्मत नहीं हारा और ना हारूंगा कभी तेरे नाम का पानी मैंने अमृत समझ के पी लिया, तुझसे मिलना कोई वजह नहीं मकसद था मेरा सफर में मै ना लड़खड़ाऊ इसलिए मैंने तुझे याद कर लिया, बिन पीछे देख बिन रुके मै इश्क का यह सफर तय करता हुआ मैं चला गया, इश्क़ की उन वीरान गलियों में जाके एक दिन तेरे वहां होने का एहसास इस दिल ने मान ही लिया, नजर फिराया मैंने जब इधर उधर तब मैंने तुझको मेरे दिल के और करीब पाया, तेरी नजरें जब मेरी नजरों पर पड़ी तेरे आंसू ना रुके मुझे देख और मेरा दिल भर आया, एक दूसरे की बाहों में आहे भर कर इश्क़ में दो दिल बहु...